माउन्ट आबू। भारतीय जनता युवा मोर्चा, माउन्ट आबू के तत्वाधान में महाराणा प्रताप जन्म जयंती मंगलवार को मनाई गई। इस अवसर पर महाराणा प्रताप की मूर्ति पर माल्यापर्ण कर नगरपालिका अध्यक्ष सुरेश थिंगर ने कहा कि पूर्व में महाराणा प्रताप की मूर्ति को लेकर वे घोषणा कर चुके है जिसका टेंडर प्रक्रिया आज से प्रारम्भ कर दी गई है। युवा मोर्चा अघ्यक्ष नरपत दान चारण महामंत्री अजित सिंह उपाध्यक्ष रोहित अग्रवाल ने भी इस अवसर पर महाराणा प्रताप के जीवन संघर्ष व इनकी शौर्यगाथा पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर अक्षय सोलंकी, अर्जुन नाथ, मंगल सिंह, दीक्षित पारिक, कुनाल डाबी, राहुल दाना आदि अन्य कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।
महाराणा प्रताप के बारे में कुछ जानकारी
महाराणा प्रताप सिंह ( ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया रविवार विक्रम संवत १५९७ तदानुसार ९ मई १५४०–१९ जनवरी १५९७) उदयपुर, मेवाड में शिशोदिया राजवंश के राजा थे। उनका नाम इतिहास में वीरता और दृढ प्रण के लिये अमर है। उन्होंने कई सालों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया। महाराणा प्रताप सिंह ने मुगलो को कही बार युद्ध में भी हराया। उनका जन्म राजस्थान के कुम्भलगढ में महाराणा उदयसिंह एवं माता राणी जीवत कँवर के घर हुआ था। १५७६ के हल्दीघाटी युद्ध में २०,००० राजपूतों को साथ लेकर राणा प्रताप ने मुगल सरदार राजा मानसिंह के ८०,००० की सेना का सामना किया। शत्रु सेना से घिर चुके महाराणा प्रताप को झाला मानसिंह ने आपने प्राण दे कर बचाया ओर महाराणा को युद्ध भूमि छोड़ने के लिए बोला। शक्ति सिंह ने आपना अशव दे कर महाराणा को बचाया। प्रिय अश्व चेतक की भी मृत्यु हुई। यह युद्ध तो केवल एक दिन चला परन्तु इसमें १७,००० लोग मारे गएँ। मेवाड़ को जीतने के लिये अकबर ने सभी प्रयास किये। महाराणा की हालत दिन-प्रतिदिन चिंतीत हुई। २५,००० राजपूतों को १२ साल तक चले उतना अनुदान देकर भामा शाह भी अमर हुआ।
महाराणा प्रताप के बारे में 16 रोचक तथ्य |
महाराणा प्रताप, ये एक ऐसा नाम है जिसके लेने भर से मुगल सेना के पसीने छूट जाते थे. एक ऐसा राजा जो कभी किसी के आगे नही झुका. जिसकी वीरता की कहानी सदियों के बाद भी लोगों की जुबान पर हैं. वो तो हमारी एकता में कमी रह गई वरना जितने किलों का अकबर था उतना वजन तो प्रयाप के भाले का था. महाराणा प्रताप मेवाड़ के महान हिंदू शासक थे.
1. महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था. प्रताप इनका और राणा उदय सिँह इनके पिता का नाम था.
2. प्रताप का वजन 110 किलो और हाईट 7 फीट 5 इंच थी.
3. प्रताप का भाला 81 किलो का और छाती का कवच का 72 किलो था. उनका भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन कुल मिलाकर 208 किलो था.
4. प्रताप ने राजनैतिक कारणों की वजह से 11 शादियां की थी.
5. महाराणा प्रताप की तलवार कवच आदि सामान उदयपुर राज घराने के संग्रहालय में सुरक्षित हैं.
6. अकबर ने राणा प्रताप को कहा था की अगर तुम हमारे आगे झुकते हो तो आधा भारत आप का रहेगा, लेकिन महाराणा प्रताप ने कहा मर जाऊँगा लेकिन मुगलों के आगे सर नही नीचा करूंगा.
7. प्रताप का घोड़ा, चेतक हवा से बातें करता था. उसने हाथी के सिर पर पैर रख दिया था और घायल प्रताप को लेकर 26 फीट लंबे नाले के ऊपर से कूद गया था.
8. प्रताप का सेनापति सिर कटने के बाद भी कुछ देर तक लड़ता रहा था.
9. प्रताप ने मायरा की गुफा में घास की रोटी खाकर दिन गुजारे थे.
10. नेपाल का राज परिवार भी चित्तौड़ से निकला है दोनों में भाई और खून का रिश्ता हैं.
11. प्रताप के घोड़े चेतक के सिर पर हाथी का मुखौटा लगाया जाता था. ताकि दूसरी सेना के हाथी कंफ्यूज रहें.
12. महाराणा प्रताप हमेशा दो तलवार रखते थे एक अपने लिए और दूसरी निहत्थे दुश्मन के लिए.
13. अकबर ने एक बार कहा था की अगर महाराणा प्रताप और जयमल मेड़तिया मेरे साथ होते तो हम विश्व विजेता बन जाते.
14. आज हल्दी घाटी के युद्ध के 300 साल बाद भी वहां की जमीनो में तलवारे पायी जाती हैं.
15. ऐसा माना जाता है कि हल्दीघाटी के युद्ध में न तो अकबर जीत सका और न ही राणा हारे। मुगलों के पास सैन्य शक्ति अधिक थी तो राणा प्रताप के पास जुझारू शक्ति की कोई कमी नहीं थी.
16. 30 सालों तक प्रयास के बाद भी अकबर, प्रताप को बंदी न बना सका. 29 जनवरी 1597 को शिकार दुर्घटना में injury की वजह से प्रताप की मृत्यु हो गई. प्रताप की मौत की खबर सुनकर अकबर भी रो पड़ा था.